tag:blogger.com,1999:blog-41181146900044531142024-02-20T18:47:12.325-08:00Ek shayar aur kaviBest poems shayari jokes messages for whatsapp facebook बेहतरीन कवितायेँ शायरी चुटकुले Unknownnoreply@blogger.comBlogger103125tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-23890185544463875612015-09-15T09:17:00.001-07:002016-08-03T23:41:56.487-07:00हर बात को छुपाना आता है <p dir="ltr"><script async src="//pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js"></script>
<script>
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({
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</script>हर बात को छुपाना आता है तुमको , रूठों को मनाना आता है मुझे, रूठे हो तुम ना जाने किस बात पर मुझसे, तो फिर वो बात क्यों नहीं बताते हो तुम मुझसे ?.</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-47003544298377730582015-09-15T09:16:00.003-07:002015-09-15T09:16:52.019-07:00कहीं अंधेरा तो कहीं शाम होगी<p dir="ltr">कहीं अंधेरा तो कहीं शाम होगी, मेरी हर खुशी तेरे नाम होगी, कभी माँग कर तो देख हमसे ऐ दोस्त, होंठों पर हँसी और हथेली पर जान होगी..</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-83677080214874417982015-09-15T09:16:00.001-07:002018-12-04T04:24:13.869-08:00क्या यही प्यार है <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div dir="ltr">
क्या यही प्यार है – जिस दिन से तुमको देखा है, मैं अक्सर सोचा करता हूँ. तुम कैसे हो , तुम कैसे हो. तुम मेरे दिल में रहते हो, तुम बिल्कुल मेरे जैसे हो..</div>
</div>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-30473739009505983852015-09-15T09:15:00.001-07:002015-09-15T09:15:53.363-07:00खिड़की से झांकता हूँ मै सबसे नज़र बचा कर<p dir="ltr">खिड़की से झांकता हूँ मै सबसे नज़र बचा कर बेचैन हो रहा हूँ क्यों घर की छत पे आ कर क्या ढूँढता हूँ जाने क्या चीज खो गई है इन्सान हूँ शायद मोहब्बत हमको भी हो गई.</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-6219861094355808872015-09-14T20:39:00.001-07:002018-12-04T04:20:28.167-08:00हिंदी दिवस पर विशेष कविता<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div dir="ltr">
संस्कृत की एक लाड़ली बेटी है ये हिन्दी।<br />
बहनों को साथ लेकर चलती है ये हिन्दी।<br />
सुंदर है, मनोरम है, मीठी है, सरल है,<br />
ओजस्विनी है और अनूठी है ये हिन्दी।<br />
पाथेय है, प्रवास में, परिचय का सूत्र है,<br />
मैत्री को जोड़ने की सांकल है ये हिन्दी।<br />
पढ़ने व पढ़ाने में सहज है, ये सुगम है,<br />
साहित्य का असीम सागर है ये हिन्दी।<br />
तुलसी, कबीर, मीरा ने इसमें ही लिखा है,<br />
कवि सूर के सागर की गागर है ये हिन्दी।<br />
वागेश्वरी का माथे पर वरदहस्त है,<br />
निश्चय ही वंदनीय मां-सम है ये हिंदी।<br />
अंग्रेजी से भी इसका कोई बैर नहीं है,<br />
उसको भी अपनेपन से लुभाती है ये हिन्दी।<br />
यूं तो देश में कई भाषाएं और हैं,<br />
पर राष्ट्र के माथे की बिंदी है ये हिन्दी।</div>
<div dir="ltr">
हिन्दी दिवस की बधाई</div>
</div>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-11910239163362494232015-09-14T05:20:00.001-07:002015-09-14T05:20:13.998-07:00पेप्सी बोली सुन कोका कोला !<p dir="ltr">पेप्सी बोली सुन कोका कोला !<br>
भारत का इन्सान है बहुत भोला।</p>
<p dir="ltr">विदेश से मैं आयी हूँ, <br>
साथ में मौत को लायी हूँ ।</p>
<p dir="ltr">लहर नहीं ज़हर हूँ मैं, <br>
गुर्दों पर गिरता कहर हूँ मैं ।</p>
<p dir="ltr">मेरी पी.एच. दो पॉइन्ट सात, <br>
मुझ में गिरकर गल जायें दाँत ।</p>
<p dir="ltr">जिंक आर्सेनीक लेड हूँ मैं, <br>
काटे आतों को, वो ब्लेड हूँ मैं ।</p>
<p dir="ltr">हाँ दूध मुझसे सस्ता है, <br>
फिर पीकर मुझको क्यों मरना है ।</p>
<p dir="ltr">540 करोड़ कमाती हूँ, <br>
विदेश में ले जाती हूँ ।</p>
<p dir="ltr">मैं पहुँची हूँ आज वहाँ पर, <br>
पीने को नहीं पानी जहाँ पर ।</p>
<p dir="ltr">छोड़ो नकल अब अकल से जीयो, <br>
और जो कुछ पीना संभल के ही पीयो ।</p>
<p dir="ltr">बच्चों को यह कविता सुनाओ,<br>
स्वदेशी अपनाओ, देश बचाओ ॥</p>
<p dir="ltr">(इसको आगे भेजते जाइये,<br>
भारत के भविष्य को संवारिये ॥)</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-59336149368530779112015-09-14T05:13:00.001-07:002015-09-14T05:13:02.322-07:00पानी से तस्वीर <p dir="ltr">पानी से तस्वीर           <br>
कहा बनती है,ख्वाबों से तकदीर          <br>
  कहा बनती है,किसी भी रिश्ते को            सच्चे दिल से निभाओ,ये जिंदगी फिर            वापस कहा मिलती हैकौन किस से            चाहकर दूर होता है,हर कोई अपने            हालातों से मजबूर होता है,<br>
हम तो बस          <br>
  इतना जानते हैं...हर रिश्ता "मोती" और           <br>
हर दोस्त "कोहिनूर" होता है।।।</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-88735461176725082802015-09-13T08:14:00.001-07:002015-09-13T08:14:15.290-07:00'Daru Bhakti Geet'<p dir="ltr">'Daru Bhakti Geet'</p>
<p dir="ltr">ऐ दारु तेरे बन्दे हम , ऐसे हो हमारे करम<br>
देसी पर चले , विश्की से हिले<br>
ताकि पीते रहे रेड रम<br>
ऐ दारु तेरे बन्दे हम ............... ........|| 1 ||</p>
<p dir="ltr">ये नशा हैं घना छा रहा<br>
मेरा सर भी चकरा रहा<br>
ले सुट्टे के धुंवे , चढने के लिए<br>
ताकि झूमते रहे सारे हम<br>
ऐ दारु तेरे बन्दे हम ............... ........|| 2 ||</p>
<p dir="ltr">ये टेबल क्यूँ हिल हैं रहा<br>
मेरा दारु हैं कौन पी रहा<br>
ये धरती हिले , हम जमीं पे गिरे<br>
ताकि भूलते रहे सारे गम</p>
<p dir="ltr">ऐ दारु तेरे बन्दे हम ............... .......<br>
देसी पर चले , विश्की से हिले<br>
ताकि पीते रहे रेड रम<br>
ऐ दारु तेरे बन्दे हम ............... ........|| 3 ||<br><br></p>
<p dir="ltr">सर्वे भवन्तू सुखिनम..........................</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-57463276474326552652015-09-12T06:02:00.001-07:002015-09-12T06:02:38.226-07:00मजबूरिया होती है महान लोगो के जीवन में <p dir="ltr">मजबूरिया होती है महान लोगो के जीवन में <br>
नहीं तो राम वनवास में<br>
कृष्ण कारावास में <br>
ओर मैं रसोई में क्यूँ जाती  </p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-51272100011547665232015-09-12T05:51:00.001-07:002015-09-12T05:51:46.163-07:00चुनींदा शेर <p dir="ltr">कुछ चुनींदा शेर पढीये,......<br>
बहूत गेहराई है इनमें।<br>
====================== ======<br>
बिना लिबास आए थे इस जहां में,<br>
बस एक कफ़न की खातिर,<br>
इतना सफ़र करना पड़ा....!!!!<br>
============================<br>
समय के एक तमाचे की देर है प्यारे,<br>
मेरी फ़क़ीरी भी क्या,<br>
तेरी बादशाही भी क्या....!!!!<br>
============================<br>
जैसा भी हूं अच्छा या बुरा अपने लिये हूं,<br>
मै खुद को नही देखता औरो की नजर से....!!!<br>
============================<br>
नींद आए या ना आए, चिराग बुझा दिया करो,<br>
यूँ रात भर किसी का जलना, हमसे देखा नहीं जाता....!!!!<br>
============================<br>
मोबाइल चलाना जिसे सिखा रहा हूँ मैं,<br>
पहला शब्द लिखना उसने मुझे सिखाया था....!!!!<br>
============================<br>
यहाँ हर किसी को, दरारों में झाकने की आदत है,<br>
दरवाजे खोल दो, कोई पूछने भी नहीं आएगा....!!!!<br>
============================<br>
"तू अचानक मिल गई तो कैसे पहचानुंगा मैं,<br>
ऐ खुशी.. तू अपनी एक तस्वीर भेज दे....!!!!<br>
============================<br>
"इसी लिए तो बच्चों पे नूर सा बरसता है,<br>
शरारतें करते हैं, साजिशें तो नहीं करते....!!!!<br>
============================<br>
महँगी से महँगी घड़ी पहन कर देख ली,<br>
वक़्त फिर भी मेरे हिसाब से कभी ना चला ...!!"<br>
============================<br>
युं ही हम दिल को साफ़ रखा करते थे ..<br>
पता नही था की, 'किमत चेहरों की होती है!<br>
============================<br>
पैसे से सुख कभी खरीदा नहीं जाता<br>
और दुःख का कोई खरीदार नहीं होता।"<br>
============================<br>
मुझे जिंदगी का इतना तजुर्बा तो नहीं,<br>
पर सुना है सादगी में लोग जीने नहीं देते<br>
======================<br>
ऐ बारिश जरा खुलकर बरस, ये क्या तमाशा है....!!<br>
इतनी रिमझिम तो मेरी आँखों से<br>
रोज होती है...!!!!<br>
=======================<br>
उदासियों की वजह तो बहुत है जिंदगी में, पर बेवजह खुश रहने<br>
का मजा ही कुछ और है... ..</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-7917321654030445192015-09-12T05:50:00.001-07:002015-09-12T05:50:38.335-07:00बहुत साल बाद दो दोस्त रास्ते में मिले <p dir="ltr"><br>
बहुत साल बाद दो दोस्त रास्ते में मिले .<br></p>
<p dir="ltr">धनवान दोस्त ने उसकी आलिशान गाड़ी पार्क की और<br></p>
<p dir="ltr">गरीब मित्र से बोला चल इस गार्डन में बेठकर बात करते है .<br></p>
<p dir="ltr">चलते चलते अमीर दोस्त ने गरीब दोस्त से कहा<br></p>
<p dir="ltr">तेरे में और मेरे में बहुत फर्क है .<br></p>
<p dir="ltr">हम दोनों साथ में पढ़े साथ में बड़े हुए<br></p>
<p dir="ltr">मै कहा पहुच गया और तू कहा रह गया ?<br></p>
<p dir="ltr">चलते चलते गरीब दोस्त अचानक रुक गया .<br></p>
<p dir="ltr">अमीर दोस्त ने पूछा क्या हुआ ?<br></p>
<p dir="ltr">गरीब दोस्त ने कहा तुझे कुछ आवाज सुनाई दी?<br></p>
<p dir="ltr">अमीर दोस्त पीछे मुड़ा और पांच का सिक्का उठाकर बोला<br></p>
<p dir="ltr">ये तो मेरी जेब से गिरा पांच के सिक्के की आवाज़ थी।<br></p>
<p dir="ltr">गरीब दोस्त एक कांटे के छोटे से पोधे की तरफ गया<br></p>
<p dir="ltr">जिसमे एक तितली पंख फडफडा रही थी .<br></p>
<p dir="ltr">गरीब दोस्त ने उस तितली को धीरे से बाहर निकला और<br></p>
<p dir="ltr">आकाश में आज़ाद कर दिया .<br></p>
<p dir="ltr">अमीर दोस्त ने आतुरता से पुछा<br></p>
<p dir="ltr">तुझे तितली की आवाज़ केसे सुनाई दी?<br></p>
<p dir="ltr">गरीब दोस्त ने नम्रता से कहा<br></p>
<p dir="ltr">" तेरे में और मुझ में यही फर्क है<br></p>
<p dir="ltr">तुझे "धन" की सुनाई दी और मुझे "मन" की आवाज़ सुनाई दी .<br></p>
<p dir="ltr">"यही सच है "<br><br><br><br></p>
<p dir="ltr">.इतनी ऊँचाई न देना प्रभु कि,</p>
<p dir="ltr">धरती पराई लगने लगे l<br><br></p>
<p dir="ltr">इनती खुशियाँ भी न देना कि,</p>
<p dir="ltr">दुःख पर किसी के हंसी आने लगे ।<br></p>
<p dir="ltr">नहीं चाहिए ऐसी शक्ति जिसका,</p>
<p dir="ltr">निर्बल पर प्रयोग करूँ l<br></p>
<p dir="ltr">नहीं चाहिए ऐसा भाव कि,</p>
<p dir="ltr">किसी को देख जल-जल मरूँ<br></p>
<p dir="ltr">ऐसा ज्ञान मुझे न देना,</p>
<p dir="ltr">अभिमान जिसका होने लगे I<br></p>
<p dir="ltr">ऐसी चतुराई भी न देना जो,</p>
<p dir="ltr">लोगों को छलने लगे ।</p>
<p dir="ltr">: खवाहिश  नही  मुझे  <br>
मशहुर  होने  की।<br>
आप  मुझे  पहचानते  हो  <br>
बस  इतना  ही  काफी  है।</p>
<p dir="ltr">अच्छे  ने  अच्छा  और  <br>
बुरे  ने  बुरा  जाना  मुझे।<br>
क्यों  की  जीसकी  जीतनी  <br>
जरुरत  थी  उसने उतना  ही<br>
पहचाना  मुझे।</p>
<p dir="ltr">ज़िन्दगी  का  फ़लसफ़ा  <br>
भी   कितना  अजीब  है, <br>
शामें  कटती  नहीं, और  साल  <br>
गुज़रते  चले  जा  रहे  हैं....!</p>
<p dir="ltr">एक  अजीब  सी  <br>
दौड़  है  ये  ज़िन्दगी, <br>
जीत  जाओ  तो  कई <br>
अपने  पीछे  छूट  जाते  हैं,<br>
और  हार  जाओ  तो  अपने <br>
ही  पीछे  छोड़  जाते  हैं।.....<br>
Being human </p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-22750221398665682602015-09-12T05:31:00.001-07:002015-09-12T05:31:20.075-07:00वक़्त आपका है,
चाहे तो सोना बना लो<p dir="ltr">वक़्त आपका है,<br>
चाहे तो सोना बना लो।</p>
<p dir="ltr">और चाहे तो सोने में गुज़ार दो...!! </p>
<p dir="ltr">पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने ईरादो को,  उनके मुकद्दर के पन्नें कभी कोरे नहीं होते!!</p>
<p dir="ltr">जो हँस रहा है, उसे दर्द ने पाला होगा.....<br>
जो चल रहा है, उसके पाँव में छाला होगा.</p>
<p dir="ltr">बिना संघर्ष के इन्सांन चमक नही सकता.<br>
जो जलेगा उसी दिए में , उजाला होगा.</p>
<p dir="ltr">" दर्द  "<br>
सभी  इंसानो  मे है <br>
मगर ...  <br>
कोई  दिखाता है  तो ...<br>
कोई  छुपाता है .....</p>
<p dir="ltr">" हमसफर "<br>
सभी  है  मगर ...<br>
कोई  साथ  देता है  तो ...<br>
कोई  छोड  देता है .....</p>
<p dir="ltr">" प्यार  "<br>
सभी  करते  है  मगर ...<br>
कोई  दिल  से  करता  है  तो ...<br>
कोई  दिमाग  सें  करता  है </p>
<p dir="ltr">" दोस्ती  "<br>
सभी  करते  है  मगर ...<br>
कुछ लोग  निभाते है ..<br>
कुछ  लोग आजमाते है <br>
          <br>
" रिश्ता  "<br>
कई लोगों  से  होता  है , मगर ...<br>
कोई  प्यार  से  निभाता  है  तो ...<br>
कोई  नफरत  से  निभाता  है ..</p>
<p dir="ltr">" अहसास  "<br>
सबको  होता  है  मगर ...<br>
कोई  मेहसूस  करता  है  तो ...<br>
कोई  समज नही पाता .</p>
<p dir="ltr">" जिंदगी "<br>
सभी  जीते  है , मगर ...<br>
कोई  सबकुछ आने के  बाद  भी  दुखी  रहते है ,  <br>
तो कोई  लुटाके खुश  रहते है .</p>
<p dir="ltr">नफ़रतो के इस दौर मे..<br>
चार लोगो से रिश्ता बना के रखना...<br>
सुना है लाश को<br>
शमशान तक दौलत नहीं ले जाती...</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-3225705825891590052015-09-11T23:54:00.001-07:002015-09-11T23:54:02.121-07:00मेरी पत्नी शिक्षक नही<p dir="ltr">एक पति की कलम से....</p>
<p dir="ltr">"मेरी पत्नी  शिक्षक नही,</p>
<p dir="ltr">पर बच्चों की सबसे बड़ी गुरु वही है ।</p>
<p dir="ltr">वो चिकित्सक भी नही, </p>
<p dir="ltr">पर हमारे हर मर्ज का इलाज है उसके पास।</p>
<p dir="ltr">वो एम.बी.ए. भी नही, </p>
<p dir="ltr">पर घर/बाहर का मेनेजमेन्ट जानती है बखूबी ।</p>
<p dir="ltr">वो गणित मे कमजोर थी,</p>
<p dir="ltr">फिर भी दुखों का घटाव और खुशियों का जोड़ गुणा जाने कैसे करती थी..?</p>
<p dir="ltr">उसके पास कोई डिग्री नही,</p>
<p dir="ltr">पर लगता है उससे बड़ा कोई संस्थान नही।</p>
<p dir="ltr">ऎसा संस्थान जहाँ <br>
बच्चों का हर "डाटा ""फीड " है,</p>
<p dir="ltr">मुझ तक हर सूचना वहीं से आती है।</p>
<p dir="ltr">मैं अपने पिता भरम होने का गर्व करूं,</p>
<p dir="ltr">तब तक मानो वह सृष्टि ही रच आती है।<br>
   dedicated to all women</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-54026900277324882612015-09-11T22:41:00.001-07:002015-09-11T22:41:36.261-07:00हास्य कविता- <p dir="ltr">-हास्य कविता- </p>
<p dir="ltr">मुश्किल है अपना मेल प्रिये,<br>
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,<br>
तुम एम.ए. फर्स्ट डिवीजन हो,<br>
----मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये।</p>
<p dir="ltr">तुम फौजी अफसर की बेटी,<br>
----मैं तो किसान का बेटा हूँ,<br>
तुम रबड़ी खीर मलाई हो,<br>
----मैं तो सत्तू सपरेटा हूँ।</p>
<p dir="ltr">तुम ए.सी. घर में रहती हो,<br>
----मैं पेड़ के नीचे लेटा हूँ,<br>
तुम नई मारूति लगती हो<br>
----मैं स्कूटर लेम्ब्रेटा हूँ।</p>
<p dir="ltr">इस तरह अगर हम छुप छुप,<br>
-----कर आपस में प्यार बढाएंगे,<br>
तो एक रोज़ तेरे डैडी<br>
----अमरीश पुरी बन जाएंगे।</p>
<p dir="ltr">सब हड्डी पसली तोड़,<br>
----मुझे भिजवा देंगे वो जेल प्रिये,<br>
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,<br>
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।</p>
<p dir="ltr">तुम अरब देश की घोड़ी हो,<br>
----मैं हूँ गधे की नाल प्रिये,<br>
तुम दीवाली का बोनस हो,<br>
----मैं भूखों की हड़ताल प्रिये।</p>
<p dir="ltr">तुम हीरे जड़ी तश्तरी हो,<br>
----मैं एल्युमिनियम का थाल प्रिये,<br>
तुम चिकन, सूप, बिरयानी हो,<br>
----मैं कंकड़ वाली दाल प्रिये।</p>
<p dir="ltr">तुम हिरन चौकड़ी भरती हो,<br>
----मैं हूँ कछुए की चाल प्रिये,<br>
तुम चन्दन वन की लकड़ी हो,<br>
----मैं हूँ बबूल की छाल प्रिये।</p>
<p dir="ltr">मैं पके आम सा लटका हूँ,<br>
----मत मारो मुझे गुलेल प्रिये,<br>
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,<br>
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।</p>
<p dir="ltr">मैं शनिदेव जैसा कुरूप,<br>
----तुम कोमल कंचन काया हो,<br>
मैं तन से, मन से कंगला हूँ,<br>
----तुम महाचंचला माया हो।</p>
<p dir="ltr">तुम निर्मल पावन गंगा हो,<br>
----मैं जलता हुआ पतंगा हूँ,<br>
तुम राजघाट का शान्ति मार्च,<br>
----मैं हिन्दू-मुस्लिम दंगा हूँ।</p>
<p dir="ltr">तुम हो पूनम का ताजमहल,<br>
----मैं काली गुफा अजन्ता की,<br>
तुम हो वरदान विधाता का,<br>
----मैं गलती हूँ भगवन्ता की।</p>
<p dir="ltr">तुम जेट विमान की शोभा हो,<br>
----मैं बस की ठेलमपेल प्रिये,<br>
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,<br>
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।</p>
<p dir="ltr">तुम नई विदेशी मिक्सी हो,<br>
----मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ,<br>
तुम ए.के. सैंतालिस जैसी,<br>
----मैं तो इक देसी कट्टा हूँ।</p>
<p dir="ltr">तुम चतुर राबड़ी देवी सी,<br>
----मैं भोला-भाला लालू हूँ,<br>
तुम मुक्त शेरनी जंगल की,<br>
----मैं चिड़ियाघर का भालू हूँ।</p>
<p dir="ltr">तुम व्यस्त सोनिया गाँधी सी,<br>
----मैं अडवाणी सा खाली हूँ,<br>
तुम हँसी माधुरी दीक्षित की,<br>
----मैं पुलिसमैन की गाली हूँ।</p>
<p dir="ltr">गर जेल मुझे हो जाए तो,<br>
----दिलवा देना तुम बेल प्रिये,<br>
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,<br>
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।</p>
<p dir="ltr">मैं ढाबे के ढांचे जैसा,<br>
----तुम पाँच सितारा होटल हो,<br>
तुम चित्रहार का मधुर गीत,<br>
----मैं कृषि दर्शन की झाड़ी हूँ,<br>
तुम विश्व सुंदरी सी महान,<br>
----मैं ठेलिया छाप कबाड़ी हूँ।</p>
<p dir="ltr">तुम एप्पल का मोबाइल हो,<br>
----मैं टेलीफोन वाला चोंगा,<br>
तुम मछली मानसरोवर की,<br>
----मैं सागर तट का हूँ घोंघा।</p>
<p dir="ltr">दस मंजिल से गिर जाऊँगा,<br>
----मत आगे मुझे ढकेल प्रिये,<br>
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,<br>
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।</p>
<p dir="ltr">तुम जयाप्रदा की साड़ी हो,<br>
----मैं शेखर वाली दाढी हूँ,<br>
तुम सुषमा जैसी विदुषी हो,<br>
----मैं लल्लू लाल अनाड़ी हूँ।</p>
<p dir="ltr">तुम जया जेटली सी कोमल,<br>
----मैं सिंह मुलायम सा कठोर,<br>
तुम हेमा मालिनी सी सुन्दर,<br>
----मैं बंगारू की तरह बोर।</p>
<p dir="ltr">तुम सत्ता की महारानी हो,<br>
----मैं विपक्ष की लाचारी हूँ,<br>
तुम हो ममता जयललिता सी,<br>
----मैं क्वाँरा अटल बिहारी हूँ।</p>
<p dir="ltr">तुम संसद की सुन्दरता हो,<br>
----मैं हूँ तिहाड़ की जेल प्रिये,<br>
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,<br>
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये । </p>
<p dir="ltr">वाकई<br>
     बहुत ही मुश्किल है,<br>
                    अपना मेल प्रिये..।</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-71228308387541864692015-09-11T09:22:00.001-07:002015-09-11T09:22:16.419-07:00रोज तारीख बदलती है, <p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">रोज   तारीख   बदलती.  है, <br>
रोज.  दिन.  बदलते.   हैं....<br>
रोज.  अपनी.  उमर.   भी बदलती.  है.....<br>
रोज.  समय.  भी    बदलता. है... <br>
हमारे   नजरिये.  भी.  वक्त.  के साथ.  बदलते.  हैं..... <br>
बस   एक.  ही.  चीज.  है.  जो नहीं.   बदलती...<br>
और  वो  हैं  "हम खुद"....</p>
<p dir="ltr">और  बस   ईसी.  वजह  से  हमें लगता   है.  कि.  अब  "जमाना" बदल   गया.  है........</p>
<p dir="ltr">किसी  शायर  ने  खूब  कहा  है,,</p>
<p dir="ltr">रहने   दे   आसमा.  ज़मीन   कि तलाश.  ना   कर,,<br>
सबकुछ।  यही।  है,  कही  और  तलाश   ना   कर.,</p>
<p dir="ltr">हर  आरज़ू   पूरी  हो,  तो   जीने का।  क्या।  मज़ा,,,<br>
जीने  के  लिए   बस।  एक खूबसूरत   वजह।  कि   तलाश कर,,,</p>
<p dir="ltr">ना  तुम  दूर  जाना  ना  हम  दूर जायेंगे,,<br>
अपने   अपने   हिस्से कि। "दोस्ती"   निभाएंगे,,,</p>
<p dir="ltr">बहुत  अच्छा   लगेगा    ज़िन्दगी का   ये   सफ़र,,,<br>
आप  वहा  से  याद   करना, हम यहाँ   से   मुस्कुराएंगे,,,</p>
<p dir="ltr">क्या   भरोसा   है.  जिंदगी   का,<br>
इंसान.  बुलबुला.  है   पानी  का,</p>
<p dir="ltr">जी  रहे  है  कपडे  बदल  बदल कर,,<br>
एक  दिन  एक  "कपडे"  में  ले जायेंगे  कंधे  बदल  बदल  कर,,</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-51190588148082385872015-09-11T02:53:00.001-07:002015-09-11T02:53:45.990-07:00सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए<p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">"सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए<br>
और<br>
जिंदगी का मजा लेना हैं तो दिल में अरमान कम रखिए !!</p>
<p dir="ltr">तज़ुर्बा है मेरा.... मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है,<br>
संगमरमर पर तो हमने .....पाँव फिसलते देखे हैं...!</p>
<p dir="ltr">जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नही यारों,<br>
यहाँ से जिन्दा बचकर कोई नही जायेगा!</p>
<p dir="ltr">जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मज़े से भीगते रहे बारिश में ....<br>
जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते रह गए...</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-13321669915756799272015-09-11T02:49:00.001-07:002015-09-11T02:49:54.542-07:00चाँद की बस्ती में काफ़िला सितारों का मिले <p dir="ltr">चाँद की बस्ती में काफ़िला सितारों का मिले <br>
उठा दो जहाँ पलकें मौसम बहारों का मिले <br>
दुनियाँ की भीड़ थी और हम आप से मिले <br>
तक़दीर से साथ ऐसे रहगुजारों का मिले <br>
रहेगा मुंतज़िर तेरा पत्ता पत्ता इस चमन का <br>
हमेशा की तरहा कल भी हाथ सहारों का मिले <br>
टकराती हैं लहरों से कश्ती-ए-ज़िंदगी मगर <br>
आप की तरह हमें भी साथ किनारों का मिले <br>
उतर गई आप की ख़ुश्बू हर कली हर फूल में <br>
खुदा करे की आपको भी साथ हज़ारों का मिले <br>
नई रुत नये साज़ नया मंज़र मुबारक हो तुम्हें <br>
समाँ ज़िंदगी भर खूबसूरत नज़ारों का मिले <br>
उजालों की मंज़िल आप सच की इबारत आप <br>
मुजको भी रब्बा पता उन गलियारों का मिले</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-54526280623092140872015-09-11T02:45:00.001-07:002015-09-11T02:45:24.203-07:00गदंगी देखने वालो की नज़रों में होती है...<p dir="ltr">क्या खूब कहा है किसी ने :-<br>
गदंगी देखने वालो की नज़रों में होती है...</p>
<p dir="ltr">वरना कचरा बीनने वालों को तो उसमें भी रोटी दिखती है...!!!</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-86410536745800332742015-09-11T02:40:00.003-07:002015-09-11T02:40:47.798-07:00सावन आया हे सखी, हरे हूए सब बाग। <p dir="ltr">विरह-वेदना<br>
   दोहा <br>
सावन आया हे सखी, हरे हूए सब बाग। <br>
पिव मेरा परदेश में, बैठी कोसुं भाग।। <br>
तन  में तुम बिन साजना, बिरहन उठे हिलोर। <br>
पिव दर्शन कब पाऊंगी, सोचत हो गयी भोर।।<br>
बिरहन तरसे सेज पर, अंगना बरसे मेह। <br>
होङा होङी कर रहे, इत सावन उत देह।। <br>
परबत हरियाली भई, मस्त भये सब मोर। <br>
बिरहन राह निहारती, कब आयें चितचोर।।<br>
सावन आया हे सखी, पीव पुकारे गात। <br>
विष जैसी लागै बुरी, बिन पिव के बरसात।। <br></p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-23738211483114193442015-09-11T02:40:00.001-07:002015-09-11T02:40:41.217-07:00हारना तब आवश्यक हो जाता <p dir="ltr"></p>
<p dir="ltr">हारना तब आवश्यक हो जाता है<br>
जब लङाई  "अपनों से हो"</p>
<p dir="ltr">...और....</p>
<p dir="ltr">जीतना तब आवश्यक हो जाता है<br>
जब लङाई  "अपने आप से  हो"</p>
<p dir="ltr">मंजिल मिले ना मिले ये तो मुकद्दर की बात है!<br>
हम कोशिश भी ना करे. ये तो गलत बात है...</p>
<p dir="ltr">हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली।<br>
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली।<br>
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ।<br>
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।।.... </p>
<p dir="ltr">कल एक झलक ज़िंदगी को देखा,<br>
वो राहों पे मेरी गुनगुना रही थी, </p>
<p dir="ltr">फिर ढूँढा उसे इधर उधर<br>
वो आँख मिचौली कर मुस्कुरा रही थी, </p>
<p dir="ltr">एक अरसे के बाद आया मुझे क़रार, <br>
वो सहला के मुझे सुला रही थी</p>
<p dir="ltr">हम दोनों क्यूँ ख़फ़ा हैं एक दूसरे से<br>
मैं उसे और वो मुझे समझा रही थी, </p>
<p dir="ltr">मैंने पूछ लिया- क्यों इतना दर्द दिया कमबख़्त तूने,<br>
वो हँसी और बोली-  मैं ज़िंदगी हूँ पगले<br>
तुझे जीना सिखा रही थी।</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-68735460039685882182015-09-11T02:38:00.001-07:002015-09-11T02:38:56.958-07:00वक़्त से लड़कर जो अपनी तकदीर बदल दे,<p dir="ltr">वक़्त से लड़कर जो अपनी तकदीर बदल दे, इंसान वही जो हाथों की लकीर बदल दे, कल क्या होगा कभी ना सोचो, क्या पता कल खुद अपनी तस्वीर बदल दे !</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-89625161682626318332015-09-11T02:30:00.001-07:002015-09-11T02:30:24.073-07:00जिन्दगी में अगर कोई तुमसे यह पूछे कि क्या खोया और क्या पाया...<p dir="ltr">जिन्दगी में अगर कोई तुमसे यह पूछे कि क्या खोया और क्या पाया...</p>
<p dir="ltr">तो सीना तान के फुल कॉन्फिडेंस के साथ कहना:</p>
<p dir="ltr">कि जो गाज़र के हलवे में डालते हैं, वह खोया है,</p>
<p dir="ltr">और</p>
<p dir="ltr">जो सलीम भाईजान की दुकान पर मिलता वो है पाया।</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-79532622077990041712015-09-11T02:29:00.001-07:002015-09-11T02:29:23.126-07:00रात को 1 बजे
डॉक्टर को फोन <p dir="ltr">एक लङका रात को 1 बजे<br>
डॉक्टर को फोन लगाता है<br>
.<br>
.<br>
.<br>
लङका - डॉक्टर साब<br>
मुझे नीँद न आने की<br>
बीमारी है<br>
डॉक्टर - तो साले इसे फैला<br>
क्यो रहा है। </p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-29302758923735922742015-09-11T02:23:00.001-07:002015-09-11T02:23:11.233-07:00लालू चाचा दूर के !<p dir="ltr">Current situation of Bihar</p>
<p dir="ltr">लालू चाचा दूर के !<br>
चारा खाऐं चूर के !!<br>
नितीश को दिया थाली में !<br>
समधी को दिया प्याली में !!<br>
समधी गऐं रूठ !<br>
गठबंधन गया टूट !!</p>
Unknownnoreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4118114690004453114.post-63859263833695051782015-09-11T02:22:00.001-07:002015-09-11T02:22:34.679-07:00सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए<p dir="ltr">Nice lines :</p>
<p dir="ltr">"सफर का मजा लेना हो तो साथ में सामान कम रखिए<br>
और<br>
जिंदगी का मजा लेना हैं तो दिल में अरमान कम रखिए !!</p>
<p dir="ltr">तज़ुर्बा है मेरा.... मिट्टी की पकड़ मजबुत होती है,<br>
संगमरमर पर तो हमने .....पाँव फिसलते देखे हैं...!</p>
<p dir="ltr">जिंदगी को इतना सिरियस लेने की जरूरत नही यारों,<br>
यहाँ से जिन्दा बचकर कोई नही जायेगा!</p>
<p dir="ltr">जिनके पास सिर्फ सिक्के थे वो मज़े से भीगते रहे बारिश में ....<br>
जिनके जेब में नोट थे वो छत तलाशते रह गए...</p>
Unknownnoreply@blogger.com0