शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

लफ्ज़ वही हैं

"लफ्ज़ वही हैं, माईने बदल गये हैं; 
किरदार वही, अफ़साने बदल गये हैं; 
उलझी ज़िन्दगी को सुलझाते सुलझाते; 
ज़िन्दगी जीने के बहाने बदल गये हैं.
"

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