रविवार, 13 सितंबर 2015

'Daru Bhakti Geet'

'Daru Bhakti Geet'

ऐ दारु तेरे बन्दे हम , ऐसे हो हमारे करम
देसी पर चले , विश्की से हिले
ताकि पीते रहे रेड रम
ऐ दारु तेरे बन्दे हम ............... ........|| 1 ||

ये नशा हैं घना छा रहा
मेरा सर भी चकरा रहा
ले सुट्टे के धुंवे , चढने के लिए
ताकि झूमते रहे सारे हम
ऐ दारु तेरे बन्दे हम ............... ........|| 2 ||

ये टेबल क्यूँ हिल हैं रहा
मेरा दारु हैं कौन पी रहा
ये धरती हिले , हम जमीं पे गिरे
ताकि भूलते रहे सारे गम

ऐ दारु तेरे बन्दे हम ............... .......
देसी पर चले , विश्की से हिले
ताकि पीते रहे रेड रम
ऐ दारु तेरे बन्दे हम ............... ........|| 3 ||

सर्वे भवन्तू सुखिनम..........................

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