बुधवार, 9 सितंबर 2015

केन्द्रीय विद्यालय vs राजस्थानी स्कूल..

"केन्द्रीय विद्यालय vs राजस्थानी स्कूल......"
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तू चकाचक चमकती इमारत
मैं चार कमरों का घोंसला सरकारी...
तेरे वाशरूम का पुराना दर्पण
मेरे आफिस के कांच पर है भारी...
तेरे चिकने आंगन रंगीन दीवारे
मैं बारिश में टपकती टपारी...
तू सजी दुल्हन सी शहर की
मैं जैसे गांव की विधवा नारी...
बच्चे तेरे सब गंभीर, है आज्ञाकारी
मेरे चंचल चित्त, है मस्ती की भरमारी...
तेरी हर कक्षा में पढ़ाते, विषय के प्रभारी
मेरे तीन के जिम्मे, हर स्कूल सरकारी ...
तेरे शिक्षक बनते जा रहे, विशेषज्ञ विषयकारी
मेरे वाले करते काम, सरकार के हर प्रकारी
तेरे शिक्षक निडर स्वतंत्र, रखते पूरी तैयारी
मेरे वालो पर तो छायी, आदेशों की महामारी...
तेरे वाले चिंतामुक्त, है सब कर्मचारी
मेरे वाले पीड़ित, सन् बारह के सरकारी...
तेरे गुरूजन है नये, बदलते हर बारी
मेरे वाले जमे है युं, जमाईं हो सरकारी ...
तू चलती निष्पक्ष, है बिना विकारी
मेरे से बलात् करते, नेतागण-अधिकारी...
तू दौड़ती जा रही, जैसे मैराथन फर्राटादारी
मैं बुढियाती जा रही, जैसे कोई बे-मारी...
तू खिलखिलाती सी, तुझपे सब बलिहारी
मैं तरस सी गयी, कहाँ है मेरे कान्हा अदाकारी...
तू तो डोमिनोज की पिज्जा सी
मैं मिड-डे-मील की तरकारी...
तेरी रानी है इरानी, तीखी सी करारी
मेरा राजा है देवनानी, कोढ़ की बीमारी
बढ़ता जाये ये रोग, खुजाते जितनी बारी..

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