गुरुवार, 3 सितंबर 2015

जहाँ रोज घरघर होती रहती है

जहाँ रोज घरघर होती रहती है,
उसे घर कहते हैं।

जहाँ रोज होम-हवन होता है,
उसे HOME कहते हैं।

जहाँ हौसला मिलता है,
उसे HOUSE कहते हैं।

जो हवादार होती है,
उसे हवेली कहते हैं।

जो करोड़ों खर्च कर बनाई जाए,
उसे कोठी कहते हैं।

जहाँ दीवारों के भी कान होते हैं,
उसे मकान कहते हैं।

जहाँ नींद बढ़िया आती है,
वो झोपड़ी कहलाती है।

और
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जहाँ कर्ज की किश्त भरते भरते लोग
खड़े से आड़े होजाते हैं,
उसे FLAT कहते हैं।

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