शुक्रवार, 11 सितंबर 2015

हास्य कविता-

-हास्य कविता-

मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,
तुम एम.ए. फर्स्ट डिवीजन हो,
----मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये।

तुम फौजी अफसर की बेटी,
----मैं तो किसान का बेटा हूँ,
तुम रबड़ी खीर मलाई हो,
----मैं तो सत्तू सपरेटा हूँ।

तुम ए.सी. घर में रहती हो,
----मैं पेड़ के नीचे लेटा हूँ,
तुम नई मारूति लगती हो
----मैं स्कूटर लेम्ब्रेटा हूँ।

इस तरह अगर हम छुप छुप,
-----कर आपस में प्यार बढाएंगे,
तो एक रोज़ तेरे डैडी
----अमरीश पुरी बन जाएंगे।

सब हड्डी पसली तोड़,
----मुझे भिजवा देंगे वो जेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।

तुम अरब देश की घोड़ी हो,
----मैं हूँ गधे की नाल प्रिये,
तुम दीवाली का बोनस हो,
----मैं भूखों की हड़ताल प्रिये।

तुम हीरे जड़ी तश्तरी हो,
----मैं एल्युमिनियम का थाल प्रिये,
तुम चिकन, सूप, बिरयानी हो,
----मैं कंकड़ वाली दाल प्रिये।

तुम हिरन चौकड़ी भरती हो,
----मैं हूँ कछुए की चाल प्रिये,
तुम चन्दन वन की लकड़ी हो,
----मैं हूँ बबूल की छाल प्रिये।

मैं पके आम सा लटका हूँ,
----मत मारो मुझे गुलेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।

मैं शनिदेव जैसा कुरूप,
----तुम कोमल कंचन काया हो,
मैं तन से, मन से कंगला हूँ,
----तुम महाचंचला माया हो।

तुम निर्मल पावन गंगा हो,
----मैं जलता हुआ पतंगा हूँ,
तुम राजघाट का शान्ति मार्च,
----मैं हिन्दू-मुस्लिम दंगा हूँ।

तुम हो पूनम का ताजमहल,
----मैं काली गुफा अजन्ता की,
तुम हो वरदान विधाता का,
----मैं गलती हूँ भगवन्ता की।

तुम जेट विमान की शोभा हो,
----मैं बस की ठेलमपेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।

तुम नई विदेशी मिक्सी हो,
----मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ,
तुम ए.के. सैंतालिस जैसी,
----मैं तो इक देसी कट्टा हूँ।

तुम चतुर राबड़ी देवी सी,
----मैं भोला-भाला लालू हूँ,
तुम मुक्त शेरनी जंगल की,
----मैं चिड़ियाघर का भालू हूँ।

तुम व्यस्त सोनिया गाँधी सी,
----मैं अडवाणी सा खाली हूँ,
तुम हँसी माधुरी दीक्षित की,
----मैं पुलिसमैन की गाली हूँ।

गर जेल मुझे हो जाए तो,
----दिलवा देना तुम बेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।

मैं ढाबे के ढांचे जैसा,
----तुम पाँच सितारा होटल हो,
तुम चित्रहार का मधुर गीत,
----मैं कृषि दर्शन की झाड़ी हूँ,
तुम विश्व सुंदरी सी महान,
----मैं ठेलिया छाप कबाड़ी हूँ।

तुम एप्पल का मोबाइल हो,
----मैं टेलीफोन वाला चोंगा,
तुम मछली मानसरोवर की,
----मैं सागर तट का हूँ घोंघा।

दस मंजिल से गिर जाऊँगा,
----मत आगे मुझे ढकेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये।

तुम जयाप्रदा की साड़ी हो,
----मैं शेखर वाली दाढी हूँ,
तुम सुषमा जैसी विदुषी हो,
----मैं लल्लू लाल अनाड़ी हूँ।

तुम जया जेटली सी कोमल,
----मैं सिंह मुलायम सा कठोर,
तुम हेमा मालिनी सी सुन्दर,
----मैं बंगारू की तरह बोर।

तुम सत्ता की महारानी हो,
----मैं विपक्ष की लाचारी हूँ,
तुम हो ममता जयललिता सी,
----मैं क्वाँरा अटल बिहारी हूँ।

तुम संसद की सुन्दरता हो,
----मैं हूँ तिहाड़ की जेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
----ये प्यार नहीं है खेल प्रिये ।

वाकई
     बहुत ही मुश्किल है,
                    अपना मेल प्रिये..।

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