मेहंदी रोली कंगन का सिँगार नही होता'''
रक्षा बँधन भईया दूज का त्योहार नहीं होता''''
रह जाते है वो घर सूने आँगन बन कर''''
जिस घर मे बेटियों का अवतार नहीं होता'''
राधे राधे
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मेहंदी रोली कंगन का सिँगार नही होता'''
रक्षा बँधन भईया दूज का त्योहार नहीं होता''''
रह जाते है वो घर सूने आँगन बन कर''''
जिस घर मे बेटियों का अवतार नहीं होता'''
राधे राधे
ए मेरे मालिक -
- जिन्दगी बख्शी है
तो जीने का सलीका भी बख्श
- ज़ुबान बख्शी है मेरे मालिक
तो सच्चे अल्फ़ाज़ भी बख्श
- सभी के अन्दर तेरी ज्योत दिखे
ऐसी तू मुझे नज़र भी बख्श
- किसी का दिल न दुखे मेरी वजह से
ऐसा अहसास भी तू मुझे बख्श
- आपके चरणकमल में मैं लगा रहूँ
हे दाता ऐसा ध्यान भी बख्श
- रिश्ते जो बनाये मेरे मालिक
उनमें अटूट प्यार तू भर
- ज़िम्मेदारियाँ बख्शी हैं मेरे पालनहार
तो उनको निभाने की समझ भी बख्श
- बुद्धि बख्शी है मेरे मालिक तो
' विवेक बख्श कर एक और अहसान कर दे
- जो कुछ है वो सब तेरा है तो
फिर इस मेरी "मैं" को भी बख्श
लोग पत्नी का मजाक उड़ाते है। बीवी के
नाम पर कई msg भेजते है उन सभी के लीये
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Please Read This....
A Lady's Simple Questions & Surely It Will
Touch A Man's heart...
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देह मेरी ,
हल्दी तुम्हारे नाम की ।
हथेली मेरी ,
मेहंदी तुम्हारे नाम की ।
सिर मेरा ,
चुनरी तुम्हारे नाम की ।
मांग मेरी ,
सिन्दूर तुम्हारे नाम का ।
माथा मेरा ,
बिंदिया तुम्हारे नाम की ।
नाक मेरी ,
नथनी तुम्हारे नाम की ।
गला मेरा ,
मंगलसूत्र तुम्हारे नाम का ।
कलाई मेरी ,
चूड़ियाँ तुम्हारे नाम की ।
पाँव मेरे ,
महावर तुम्हारे नाम की ।
उंगलियाँ मेरी ,
बिछुए तुम्हारे नाम के ।
बड़ों की चरण-वंदना
मै करूँ ,
और 'सदा-सुहागन' का आशीष
तुम्हारे नाम का ।
और तो और -
करवाचौथ/बड़मावस के व्रत भी
तुम्हारे नाम के ।
यहाँ तक कि
कोख मेरी/ खून मेरा/ दूध मेरा,
और बच्चा ?
बच्चा तुम्हारे नाम का ।
घर के दरवाज़े पर लगी
'नेम-प्लेट' तुम्हारे नाम की ।
और तो और -
मेरे अपने नाम के सम्मुख
लिखा गोत्र भी मेरा नहीं,
तुम्हारे नाम का ।
सब कुछ तो
तुम्हारे नाम का...
Namrata se puchti hu?
आखिर तुम्हारे पास...
क्या है मेरे नाम का?
एक लड़की ससुराल चली गई।
कल की लड़की आज बहु बन गई.
कल तक मौज करती लड़की,
अब ससुराल की सेवा करना सीख गई.
कल तक तो टीशर्ट और जीन्स पहनती लड़की,
आज साड़ी पहनना सीख गई.
पिहर में जैसे बहती नदी,
आज ससुराल की नीर बन गई.
रोज मजे से पैसे खर्च करती लड़की,
आज साग-सब्जी का भाव करना सीख गई.
कल तक FULL SPEED स्कुटी चलाती लड़की,
आज BIKE के पीछे बैठना सीख गई.
कल तक तो तीन वक्त पूरा खाना खाती लड़की,
आज ससुराल में तीन वक्त
का खाना बनाना सीख गई.
हमेशा जिद करती लड़की,
आज पति को पूछना सीख गई.
कल तक तो मम्मी से काम करवाती लड़की,
आज सासुमां के काम करना सीख गई.
कल तक भाई-बहन के साथ
झगड़ा करती लड़की,
आज ननद का मान करना सीख गई.
कल तक तो भाभी के साथ मजाक करती लड़की,
आज जेठानी का आदर करना सीख गई.
पिता की आँख का पानी,
ससुर के ग्लास का पानी बन गई.
फिर लोग कहते हैं कि बेटी ससुराल जाना सीख
गई.
(यह बलिदान केवल लड़की ही कर
सकती है,इसिलिए हमेशा लड़की की झोली
वात्सल्य से भरी रखना...)
बात निकली है तो दूर तक जानी चाहिये!!!
शेयर जरुर करें और लड़कियो को सम्मान दे!
ये पेड़ ये पत्ते ये शाखें भी परेशान हो जाएं !
अगर परिंदे भी हिन्दू और मुस्लमान हो जाएं
.
.
न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं
जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं.
मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है.
की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है……
में अमन पसंद हूँ, मेरे शहर में दंगा रहने दो…
लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो
Happy Independence Day
व्हाट्सऐप भग्वद गीता
हे पार्थ,
|| तुम पिछले मेसेज का पश्चाताप मत करो ||
|| तुम अगले मेसेज की चिंता भी मत करो ||
|| बस अपने करंट मेसेज से ही प्रसन्न रहो ||
|| तुम जब नहीं थे, तब भी ये मेसेजो का चलन रहा था ||
|| तुम जब नहीं होगे, तब भी ये मेसेजो का चलन चलता रहेगा ||
|| जो मेसेज आज तुम्हारा है, कल किसी और का था ||
|| वो कल किसी और का होगा ||
|| तुम इसे अपना समझ कर मगन हो रहे हो ||
|| यही तुम्हारे समस्त दुखों का कारण है ||
|| बहुत बढ़िया लाइक धन्यवाद जैसे शब्द अपने मन से निकाल दो ||
|| निष्काम भाव से मैसेज करो.. फिर देखो तुम इस व्हाट्सऐप रूपि भवसागर में रहते हुए भी इस के समस्त कुप्रभावों से दूर रह कर स्वर्ग लोक को प्राप्त होगे ||
राधे - राधे
जन्म लिया है तो सिर्फ साँसे मत लीजिये,
जीने का शौक भी रखिये..
कुछ रिश्ते भगवान बनाता है .....
और कुछ रिश्ते whatsapp
दोस्ती हर चहरे की मीठी मुस्कान होती है,
दोस्ती ही सुख दुख की पहचान होती है,
रूठ भी गऐ हम तो दिल पर मत लेना,
क्योकि दोस्ती जरा सी नादान होती है...!!!
मेरे यूँ चुप रहने से नाराज ना हो जाना कभी,
दिल से चाहने वाले तो अकसर खामोश ही रहते है.
कई बार ये सोच के दिल मेरा रो देता है ,
कि तुझे पाने की चाहत में मैंने खुद को भी
खो दिया
हर दर्द को दफ़न कर गहराई में कहीं ,
दो पल के लिए सब कुछ भुलाया जाए.
रोने के लिए घर में कोने बहुत से हैं ,
आज महफ़िल में चलो सब को हंसाया जाए...
साफ साफ बोलने वाला कड़वा जरूर होता है,
पर धोकेबाज नही
मुझे भी सिखा दो "भूल" जाने का हुनर"
"मैं थक गया हूँ हर लम्हा हर सांस तुझे याद करते करते !!
छोटे थे, हर बात भूल जाया करते थे...दुनिया कहती थी कि...
"याद करना सीखो"..!
.
.
.
बड़े हुए तो हर बात याद रहती है,दुनिया कहती है कि...
"भूलना सीखो"
शतरंज की चालों का खौफ ... उन्हें होता है ,
जो सियासत करते हैं ..... हम तो मोहब्बत के खिलाड़ी हैं ... न हार की फिक्र , न जीत का ज़िक्र
'' दीदार की तलब हो तो नजरें
जमाये रखना ..
क्यूकि 'नकाब' हो या 'नसीब'
.....सरकता जरूर है'
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकिएक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.
बहुत थे इस दुनिया मे, मेरे भी अपने,
ए-जान....
फिर इश्क हुआ और, मै लावारिश हो गया!!!
तहज़ीब का आग़ाज़ उस वक़्त हुआ होगा,
जब किसी ने गुस्से में आकर पत्थर की बजाए लफ़्जो से वार किया होगा...
जल जाते हैं मेरे अंदाज़ से मेरे दुश्मन क्यूंकिएक मुद्दत से मैंने न मोहब्बत बदली और न दोस्त बदले .!!.
क्या लिखूँ दिल की हकीकत आरज़ू बेहोश है!
खत पर है आँसू गिरे और कलम खामोश है !!
'ऐसा नहीं है कि हमें बातें बुरी नहीं लगती,
एक बस तेरे लिये सारे गुनाह माफ़ है ।।।।।।
दिल ने आज फिर तेरे दीदार की ख्वाहिश रखी है अगर फुरसत मिले तो ख्वाबों मे आ जाना !.
मत समझ के कुछ नही है पास मेरे तुझे देने को,
शायर हूँ नाम तेरे कुछ तो लिख ही जाऊगाँ...
उसीसे पुछलो उसके इश्क़ की किम्मत..,हम तो बस भरोसे पे बिक गए ….!!!
बहन का मार्मिक पत्र ससुराल से:-
नहीं चाहिए मुझको हिस्सा
माँ-बाबा की दौलत में
चाहे वो जो जो लिख जाएँ
अपनी वसीयत में
नहीं चाहिए मुझको झुमका
चूड़ी पायल और कंगन
नहीं चाहिए अपनेपन की
कीमत पर बेगानापन
मुझको नश्वर चीज़ों की दिल से
कोई दरकार नहीं
संबंधों की कीमत पर
कोई सुविधा स्वीकार नहीं
माँ के सारे गहने-कपड़े
तुम भाभी को दे देना
बाबूजी का जो कुछ है
सब ख़ुशी ख़ुशी तुम ले लेना
चाहे पूरे वर्ष कोई भी
चिट्ठी-पत्री मत लिखना
मेरे स्नेह-निमंत्रण का भी
चाहे मोल नहीं करना
नहीं भेजना तोहफे मुझको
चाहे तीज-त्योहारों पर
पर थोडा-सा हक दे देना
बाबुल के गलियारों पर
रूपया पैसा कुछ ना चाहूँ
ये सब नाकाफी है
आशीर्वाद मिले मैके से
मुझको इतना काफी है
तोड़े से भी ना टूटे जो
ये ऐसा मन -बंधन है
इस बंधन को सारी दुनिया
कहती रक्षाबंधन है
तुम भी इस कच्चे धागे का
मान ज़रा-सा रख लेना
कम से कम राखी के दिन
बहना का रस्ता तक लेना
बाबुल के गलियारों पर
बस थोडा-सा हक दे देना
बस थोडा-सा हक दे देना
पानी से तस्वीर कहा बनती है,ख्वाबों से तकदीर कहा बनती है,किसी भी रिश्ते को सच्चे दिल से निभाओ,ये जिंदगी फिर वापस कहा मिलती हैकौन किस से चाहकर दूर होता है,हर कोई अपने हालातों से मजबूर होता है,हम तो बस इतना जानते हैं...हर रिश्ता "मोती" और हर दोस्त "कोहिनूर" होता है।।।
मत पूछ मेरे हौसलों की हदों के बारे में,ये वो पंछी हैं,
जो जानते ही नहीं सरहदों के बारे में !
उड़ते रहते हैं ये निरंतर ख्वाहिशो के आसमानों में,
और बाज नहीं आते कभी तकदीर को आजमाने से
अगर दुश्मन करें आगाज़, तो हम अंजाम लिख
देंगे .....
लहू के रंग से इतिहास में संग्राम लिख देंगे ......
हमारी ज़िन्दगी पर तो वतन का ही है नाम
लिखा ....
अब अपनी मौत भी अपने वतन के नाम लिख
देंगे!!
1. जिदंगी मे कभी भी किसी को बेकार मत समझना
क्योकी बंद पडी घडी भी दिन में दो बार सही समय
बताती है।
2. किसी की बुराई तलाश करने वाले इंसान की मिसाल
उस 'मक्खी' की तरह है जो सारे खूबसूरत जिस्म को
छोडकर केवल जख्म पर ही बैठती है।
3. टूट जाता है गरीबी मे वो रिशता जो खास होता है
हजारो यार बनते है जब पैसा पास होता है.
4. मुस्करा कर देखो तो सारा जहाॅ रंगीन है वर्ना भीगी
पलको से तो आईना भी धुधंला नजर आता है
5. जल्द मिलने वाली चीजे ज्यादा दिन तक नही चलती
और जो चीजे ज्यादा दिन तक चलती है वो जल्दी नही
मिलती
6. बुरे दिनो का एक अच्छा फायदा अच्छे-अच्छे दोस्त
परखे जाते है
7. बीमारी खरगोश की तरह आती है और कछुए की तरह
जाती है जबकि पैसा कछुए की तरह आता है और
खरगोश की तरह जाता है
8. छोटी छोटी बातो मे आंन्द खोजना चाहिए क्योकि
बङी बङी तो जीवन मे कुछ ही होती है।
9. ईशवर से कुछ मांगने पर न मिले तो उससे नाराज ना
होना क्योकि ईशवर वह नही देता जो आपको अच्छा
लगता है बल्कि वह देता है जो आपके लिए अच्छा
होता है।
10. लगातार हो रही असफलफताओ से निराश नही होना
चाहिए क्योकीं कभी-कभी गुच्छे की आखिरी चाबी भी
ताला खोल देती है।
11. ये सोच है हम इसांनो की कि एक अकेला क्या कर
सकता है पर देख जरा उस सूरज को वो अकेला ही तो
चमकता है
12. रिश्ते चाहे कितने ही बुरे हो उन्हे तोङना मत क्योकि
पानी चाहे कितना भी गंदा हो अगर प्यास नही बुझा
सकता पर आग तो बुझा सकता है।
13. अब वफा की उम्मीद भी किस से करे भला, मिटटी के
बने लोग कागजो मे बिक जाते है।
14. इंसान की तरह बोलना न आये तो जानवर की तरह
मौन रहना अच्छा है।
15. जब हम बोलना नही जानते थे, तो हमारे बोले बिना
'माॅ' हमारी बातो को समझ जाती थी और आज हम हर
बात पर कहते है ''छोङो भी 'मा' आप नही समझोगी''
16. " शुक्रगुजार हूँ उन तमाम लोगो का जिन्होने बुरे वक्त
मे मेरा साथ छोङ दिया क्योकि उन्हे भरोसा था कि मै
मुसीबतो से अकेले ही निपट सकता हूँ।
17. शर्म की अमीरी से इज्जत की गरीबी अच्छी है
18. जिदंगी मे उतार चङाव का आना बहुत जरुरी है
क्योकि ECG मे सीधी लाईन का मतलब मौत ही
होता है
19. रिशते, आजकल रोटी की तरह हो गए जरा सी आंच
तेज क्या हुई जल भुनकर खाक हो गए।
20. जिदंगी मे अच्छे लोगो की तलाश मत करो "खुद
अच्छे बन जाओ" आपसे मिलकर शायद किसी की
तालाश पूरी हो जाए।
हरिवंशराय बच्चनजी की सुन्दर कविता:
अगर बिकी तेरी दोस्ती...
तो पहले ख़रीददार हम होंगे.
तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत.
पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे.
दोस्त साथ हो तो रोने में भी शान है.
दोस्त ना हो तो महफिल भी समशान है!
सारा खेल दोस्ती का है ऐ मेरे दोस्त,
वरना जनाजा और बारात एक ही समान है.
सारे दोस्तो को सर्मप्रित.
गुरू एक तेज हे ,
जिनके आते ही सारे संशय के
अंधकार खतम हो जाते हे ।।
गुरू वो दीक्षा हे जो सही मायने मे
मिलती है तो पार हो जाते हे ।।
गुरू वो नदी हे जो निरंतर
हमारे प्राण से बहती हे ।।
गुरू वो सत् चित् आनंद हे
जो हमे हमारी पहचान देता हे ।।
गुरू वो बांसुरी हे जिसके बजते ही
अंग अंग थीरक ने लगता हे ।।
गुरू वो अमृत हे जिसे पी के
कोई कभी प्यासा नही रहेता ।।
गुरू वो मृदंग हे जिसे बजाते ही
सोहम नाद की झलक मिलती हे ।।
गुरू वो कृपा हे जो सिर्फ कुछ
सद शिष्यों को ही विशेष रूप में
मीलती है ।।
गुरू वो प्रसाद हे जिसके भाग्यमें हो ,
उसे कभी कुछ मांगने की ज़रूरत नही।
========================
याकूब ने कहा कलामजी से
आज मैं भी ऊपर,
और आप भी ऊपर हो,
तो फर्क क्या हैं..हम दोनो में...
कलामजी ने मुस्कुराते हुए कहा
मुझे बुलाया गया हैं...
और आप को भेजा गया हैं !!
आपने जिंदगी लगा दी खूद की
मजहब की दिवार खड़ी करनेमें
और हमारी जिंदगी बीत गयी
वही दीवार तोड़ते तोड़ते !
देश रो पडा था
जब मैं गिरा था,
वही देश मुस्कुराया था
आपको लटका हुआ देखकर !
तिरंगा मेरा भी था,
और आपका भी था
पर मैंने सपने भी देखे,
तीनो रंग के,
और आप लड़ते रहे,
सिर्फ एक ही रंग के लिए !
देश का सर उँचा करनेके लिए
मैंने मिसाईल उडाए,
देश का सर निचा झुकाने के लिए
आपने बम गिराए !!
मेरा काम पवित्र था
इसलिए काम करते करते गिर पड़ा।
आपका पाप बड़ा था
इसलिए देश ने आपको गिराया
फासी के फंदे पे लटकाया !!!!
I'm a teacher..............
Behind that doctor,
Is me, a teacher...........
Behind that economist,
Is me, a teacher..........
Above those astronomers,Is me, a teacher..............
I carry the light even though they mostly make jokes of me...........
But i am a teacher........
I don't qualify for a RDP house nor earn enough to buy an expensive one.............
But yes, i am a teacher...........
Some think or even say that i have too many holidays, never knowing that i spend those holidays either correcting papers or planning what and how I'm going to teach when i go back to school........
Because i am a teacher..,
sometimes i get confused and even get stressed by the ever changing policies by the politicians who have political powers over what and how i have to teach.......
Despite all that i am a teacher and i have to teach and i'm teaching.............
On pay days i don't laugh as others do, but by the next day i have to come with a smile to those that i teach........... Because i'm a teacher.........
The main source of my satisfaction is when i see them growing, succeeding, having all those assets, bravely facing the world and its challenges,
and i say yes i've taught in spite of living in a world opened by Google..
Because i am a teacher............
Yes i am a teacher........
It doesn't matter how they look at me,
it doesn't matter how much more they earn than me,
it doesn't matter that they drive while I walk
because all what they have is through me, a teacher.. Whether they acknowledge me or not......
I am a teacher...........
Pass this to all the teachers n make them proud of their career.
Dedicated to all the amazing teachers.....
जब बचपन था, तो जवानी एक ड्रीम था...
जब जवान हुए, तो बचपन एक ज़माना था... !!
जब घर में रहते थे, आज़ादी अच्छी लगती थी...
आज आज़ादी है, फिर भी घर जाने की जल्दी रहती है... !!
कभी होटल में जाना पिज़्ज़ा, बर्गर खाना पसंद था...
आज घर पर आना और माँ के हाथ का खाना पसंद है... !!!
स्कूल में जिनके साथ ज़गड़ते थे, आज उनको ही इंटरनेट पे तलाशते है... !!
ख़ुशी किसमे होतीं है, ये पता अब चला है...
बचपन क्या था, इसका एहसास अब हुआ है...
काश बदल सकते हम ज़िंदगी के कुछ साल..
.काश जी सकते हम, ज़िंदगी फिर एक बार...!!
जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे
और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने
अपने हाथ जादू से हाथ गायब कर दिए
|
✏जब हमारे पास चार रंगों से लिखने
वाली एक पेन हुआ करती थी और हम
सभी के बटन को एक साथ दबाने
की कोशिश किया करते थे |❤
जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे
ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके..
जब आँख बंद कर सोने का नाटक करते
थे ताकि कोई हमें गोद में उठा के बिस्तर तक पहुचा दे |
सोचा करते थे की ये चाँद
हमारी साइकिल के पीछे पीछे
क्यों चल रहा हैं |
On/Off वाले स्विच को बीच में
अटकाने की कोशिश किया करते थे |
फल के बीज को इस डर से नहीं खाते
थे की कहीं हमारे पेट में पेड़ न उग जाए |
बर्थडे सिर्फ इसलिए मनाते थे
ताकि ढेर सारे गिफ्ट मिले |
फ्रिज को धीरे से बंद करके ये जानने
की कोशिश करते थे की इसकी लाइट
कब बंद होती हैं |
सच , बचपन में सोचते हम बड़े
क्यों नहीं हो रहे ?
और अब सोचते हम बड़े क्यों हो गए ?⚡⚡
ये दौलत भी ले लो..ये शोहरत भी ले लो
भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी...
मगर मुझको लौटा दो बचपन
का सावन ....☔
वो कागज़
की कश्ती वो बारिश का पानी..
मेरा दर्द ना जाने कोई.....
By a soldier..
ए भीड में रहने वाले इन्सान
एक बार वर्दी पहन के दिखा
ऑर्डर के चक्रव्यूह में से
छुटी काट कर के तो दिखा
रात के घुप्प अँधेरे में जब दुनिया सोती है
तू मुस्तैद खड़ा जाग के तो दिखा
बाॅर्डर की ठंडी हवा में चलकर
घर की तरफ मुड़ के तो दिखा
घर से चलने ले पहले वाइफ को
अगली छुट्टी के सपने तो दिखा
कल छुट्टी आउंगा बोलके
बच्चों को फोन पे ही चाॅकलेट खिला के तो दिखा
थकी हुई आखों से याद करने वाले
मां बाप को अपना मुस्कुराता चेहरा तो दिखा
ये सब करते समय
दुश्मनकी गोली सीने पर लेकर तो दिखा
आखिरी सांस लेते समय
तिरंगे को सलाम करके तो दिखा
छुट्टी से लौटते वक्त बच्चों के आंसू, माँ बाप की बेबसी, पत्नी की लाचारी को नज़रअंदाज कर के तो दिखा
सरकार कहती है शहीद की परिभाषा नही है
दम है तो भगत सिंह बन के तो दिखा
बेबस लाचार बना दिया है देश के सैनिक को
विपति के अलावा कभी उसको याद करके तो दिखा
रेगिस्तान की गर्मी, हिमालय की ठंड
क्या होती है वहां आकर तो दिखा
जगलं में दगंल, नक्सलियों का मगंल
कभी अम्बुश में एक रात बैठ कर तो दिखा
यह वर्दी मेरी आन बान और शान है
मेरी पहचान का तमाशा दुनियां को ना दिखा
देश पर मर मिट कर भी मुझे शहीद न कहने वाले,
अगर दम है तो एक बार वर्दी पहन के तो दिखा....
एक सैनिक की अपनी पहचान के लिए जंग जारी.....
बहुत ही सुंदर पंक्तियां भेजी है, फारवर्ड करने से खुद को रोक नहीं पाया ....
जब भी अपनी शख्शियत पर अहंकार हो,
एक फेरा शमशान का जरुर लगा लेना।
और....
जब भी अपने परमात्मा से प्यार हो,
किसी भूखे को अपने हाथों से खिला देना।
जब भी अपनी ताक़त पर गुरुर हो,
एक फेरा वृद्धा आश्रम का लगा लेना।
और….
जब भी आपका सिर श्रद्धा से झुका हो,
अपने माँ बाप के पैर जरूर दबा देना।
जीभ जन्म से होती है और मृत्यु तक रहती है क्योकि वो कोमल होती है.
दाँत जन्म के बाद में आते है और मृत्यु से पहले चले जाते हैं...
क्योकि वो कठोर होते है।
छोटा बनके रहोगे तो मिलेगी हर
बड़ी रहमत...
बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार
देती है..
किस्मत और पत्नी
भले ही परेशान करती है लेकिन
जब साथ देती हैं तो
ज़िन्दगी बदल देती हैं.।।
"प्रेम चाहिये तो समर्पण खर्च करना होगा।
विश्वास चाहिये तो निष्ठा खर्च करनी होगी।
साथ चाहिये तो समय खर्च करना होगा।
किसने कहा रिश्ते मुफ्त मिलते हैं ।
मुफ्त तो हवा भी नहीं मिलती ।
एक साँस भी तब आती है,
जब एक साँस छोड़ी जाती है!!"?.:
नंगे पाँव चलते “इन्सान” को लगता है
कि “चप्पल होते तो क अच्छा होता”
बाद मेँ……….
“साइकिल होती तो कितना अच्छा होता”
उसके बाद में………
“मोपेड होता तो थकान नही लगती”
बाद में………
“मोटर साइकिल होती तो बातो-बातो मेँ
रास्ता कट जाता”
फिर ऐसा लगा की………
“कार होती तो धूप नही लगती”
फिर लगा कि,
“हवाई जहाज होता तो इस ट्रैफिक का झंझट
नही होता”
जब हवाई जहाज में बैठकर नीचे हरे-भरे घास के मैदान
देखता है तो सोचता है,
कि “नंगे पाव घास में चलता तो दिल
को कितनी “तसल्ली” मिलती”…..
” जरुरत के मुताबिक “जिंदगी” जिओ – “ख्वाहिश”….. के
मुताबिक नहीं………
क्योंकि ‘जरुरत’
तो ‘फकीरों’ की भी ‘पूरी’ हो जाती है, और
‘ख्वाहिशें’….. ‘बादशाहों ‘ की भी “अधूरी” रह जाती है”…..
“जीत” किसके लिए, ‘हार’ किसके लिए
‘ज़िंदगी भर’ ये ‘तकरार’ किसके लिए…
जो भी ‘आया’ है वो ‘जायेगा’ एक दिन
फिर ये इतना “अहंकार” किसके लिए…
ए बुरे वक़्त !
ज़रा “अदब” से पेश आ !!
“वक़्त” ही कितना लगता है
“वक़्त” बदलने में………
मिली थी ‘जिन्दगी’ , किसी के
‘काम’ आने के लिए…..
पर ‘वक्त’ बीत रहा है , “कागज” के “टुकड़े” “कमाने” के लिए………
, ❤❤❤❤❤